sidh kunjika Fundamentals Explained
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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति ॥ १४ ॥
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं get more info फट् स्वाहा ॥ ५ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः
कुंजिका पाठ मात्रेण, दुर्गा पाठ फलं लभेत्।